विनय पिटक बौद्ध धर्मया छगू ग्रन्थ ख। थ्व ग्रन्थ त्रिपिटकया स्वंगु भागया छगू भाग ख। थ्व ग्रन्थ भिक्षु, भिक्षुणी, अनागारिका आदितेगु संघनियम नाप स्वापू दूगु ग्रन्थ ख। संस्कृत, पालि व मेमेगु प्राचीन बौद्ध ग्रन्थया भाषा कथं विनयपिटकया अर्थ अनुशासनया टोकरी ख। भगवान बुद्धया परिनिर्वाण धुंका वसपोलया उपदेशतेत थी-थी सूत्रय् लुमंकेगु ज्या भिक्षुतेसं मंकाकथं यानादिल। भगवान बुद्धया धम्मया थी-थी पक्षयात लुमंकातयेगु ज्या थी-थी भिक्षुतेसं यानादिल। थथे लुमंकिगु ज्या यानादीपिं भिक्षुइ विनयपिटक लुमंकादीपिं आचार्यत थ्व कथं दु[१]: १.भिक्षु उपाली, २. भिक्षु दासक, ३. भिक्षु सोणक, ४. भिक्षु सिग्गव, ५. भिक्षु मोग्गलिपुत्ततिस्स।
विनयपिटकया विभाजन थ्व कथं दु [२] -
| विनयपिटक |
वग्ग |
सुत्त |
| पाराजिकपाळि | |
| | वेरञ्जकण्डं |
| | पाराजिककण्डं |
| | सङ्घादिसेसकण्डं |
| | अनियतकण्डं |
| | निस्सग्गियकण्डं |
| पाचित्तियपाळि | |
| | पाचित्तियकण्डं |
| | पाटिदेसनीयकण्डं |
| | सेखियकण्डं |
| | अधिकरणसमथा |
| | पाराजिककण्डं (भिक्खुनीविभङ्गो) |
| | सङ्घादिसेसकण्डं (भिक्खुनीविभङ्गो) |
| | निस्सग्गियकण्डं (भिक्खुनीविभङ्गो) |
| | पाचित्तियकण्डं (भिक्खुनीविभङ्गो) |
| | पाटिदेसनीयकण्डं (भिक्खुनीविभङ्गो) |
| | सेखियकण्डं (भिक्खुनीविभङ्गो) |
| | अधिकरणसमथा (भिक्खुनीविभङ्गो) |
| महावग्गपाळि | |
| | महाखन्धको |
| | उपोसथक्खन्धको |
| | वस्सूपनायिकक्खन्धको |
| | पवारणाक्खन्धको |
| | चम्मक्खन्धको |
| | भेसज्जक्खन्धको |
| | कथिनक्खन्धको |
| | चीवरक्खन्धको |
| | चम्पेय्यक्खन्धको |
| | कोसम्बकक्खन्धको |
| चूळवग्गपाळि | |
| | कम्मक्खन्धकं |
| | पारिवासिकक्खन्धकं |
| | समुच्चयक्खन्धकं |
| | समथक्खन्धकं |
| | खुद्दकवत्थुक्खन्धकं |
| | सेनासनक्खन्धकं |
| | सङ्घभेदकक्खन्धकं |
| | वत्तक्खन्धकं |
| | पातिमोक्खट्ठपनक्खन्धकं |
| | भिक्खुनिक्खन्धकं |
| | पञ्चसतिकक्खन्धकं |
| | सत्तसतिकक्खन्धकं |
| परिवारपाळि | |
| | सोळसमहावारो |
| | समुट्ठानसीससङ्खेपो |
| | अन्तरपेय्यालं |
| | खन्धकपुच्छावारो |
| | एकुत्तरिकनयो |
| | उपोसथादिपुच्छाविस्सज्जना |
| | गाथासङ्गणिकं |
| | अधिकरणभेदो |
| | अपरगाथासङ्गणिकं |
| | चोदनाकण्डं |
| | चूळसङ्गामो |
| | महासङ्गामो |
| | कथिनभेदो |
| | उपालिपञ्चकं |
| | अत्थापत्तिसमुट्ठानं |
| | दुतियगाथासङ्गणिकं |
| | सेदमोचनगाथा |
| | पञ्चवग्गो |