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सिंहल राजवंशावली

विकिपिडिया नं
रज of हेलंका / सिंहल / लंका
Former Monarchy
First monarch {{{first_monarch}}}
Last monarch {{{last_monarch}}}
Official residence मन्नारम []/ कतरगम, पँडुवस्नुवर अनुराधपुर/मागम, पॊळॊन्नरुव, दँबदॆणिय, यापहुव, कुरुणॅगल, गम्पॊळ, कोट्टे, सॆंकडगल, कॊळँब
Monarchy began ??
Monarchy ended १९७२ मे २२


श्रीलङ्काया मू जाति सिंहल जाति ख। थ्व जाति थीथी ईलय् थीथी राजवंशया अधीनय् लानाच्वन। थ्व जातिया राजवंशया वंशावली थ्व कथं दु-

प्राचीन काल

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मनु राजवंश

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थ्व राजवंशया जुजुत थ्व कथं दु-

  • महा सम्मत मनु रज
  • रोज
  • वररोज
  • कल्याण
  • वरकल्याण
  • उपोसथ
  • महा मन्दातु
  • वरमन्दातु
  • चेतिय
  • चेतियगे पलमु पुत्रया
  • चेतियगे दॆवन पुत्रया
  • चेतियगे तॆवन पुत्रया
  • चेतियगे सिव्वन पुत्रया
  • चेतियगे पस्वन पुत्रया
  • महा मुचलिन्द
  • मुचलिन्द
  • पळमुवन सागर
  • दॆवन सागर
  • भरत
  • रुचि
  • सुरुचि
  • पताप
  • महा पताप
  • पहद
  • सुदस्सि
  • नॆरुप
  • महा नॆरुप
  • असिरिमत्
  • हिरण्य काश्यप रज (ईरणी कसुबु / महमत्दातु/ईरणी)
  • बलि रज
  • तरु रज
  • नहुत रज
  • संकित रज

मखादेव राज वंश

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लंकापुर युग

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यक्ष सह राक्ष राजधानि

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देव राजधानि

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नाग राजधानि

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नाग राजधानि - वडुन्नागल नगरय

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नाग राजधानि - मणि नाग दीपय

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नाग राजधानि - कॅळणि नगरय

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तम्मन्नाव - उपतिस्सनुवर - पँडुवस्नुवर - विजितपुर युग (क्रि.पू. ५४४ निसें क्रि.पू. ४३७ तक्क)

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नांकालराज्यावधिमेमेगु
विजय रजक्रि.पू. ५४३-५०५३८कलिंगं वःगु
उपतिस्स रज५०५-५०४
पँडुवस्दॆव् रज५०४-४७४३०
अभय रज४७४-४५४२०
तिस्स कुमरु४५४ -(पण्डुवासदेव जुजुया २म्ह काय्)

अनुराधपुर युग (क्रि.पू. ४३७ निसें क्रि.व. १०२९तक्क)

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अनुराधपुर पण्डुकाभय राज वंश युग १

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अनुराधपुर चोल युग

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अनुराधपुर चोल युग - रजरट राजधानि

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अनुराधपुर चोल युग - माया (कॅळणि) राजधानि

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अनुराधपुर चोल युग - रुहुणु राजधानि

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अनुराधपुर पण्डुकाभय राजवंश युग २ - सिंहले राजधानि

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  • आक्रमणक पंच द्रविडयन् (पुलहत्थ, बाहिय ,पनयमार,पिळयमार, दाठिय)
  • वळगम्बा रजु (यळि रजवीम)
  • महवुलितिस्स
  • चोरनाग
  • तिस्स (कुडातिस्स)
  • सिव
  • वटुक
  • दारुभातिक तिस्स
  • तिलिय (पुरोहित बमुणा)
  • अनुला रॅजिन
  • कूठकण्ण तिस्स
  • भातिक अभय
  • महादाथिक महानाग
  • आमन्द- गामिणी अभय
  • कणिरजानु तिस्स
  • चूलाभय
  • सीवली रॅजिन

-- अराजिक समय --

  • इलनाग
  • चण्डमुखसीव
  • यसलालक तिस्स

सुब रज

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  • सभ (सुभ)
  • वसभ रज
  • वंकनाथतिस्स
  • गजबाहुक - गामिणी (गजबाहु रज प्रथम)
  • महल्लकनाग
  • भातिक तिस्स
  • कनिट्ठतिस्स
  • बुज्जनाग
  • कुंचनाग
  • सिरिनाग प्रथम
  • वोहारिकतिस्स (वॆहॆरतिस्स)
  • अभयनाग
  • सिरिनाग द्वितीय
  • विजय - कुमार
  • संघतिस्स प्रथम
  • सिरिसंगबोधि (दॅहॅमि सिरिसँगबो)
  • गोठाभय (गॊळु अबा)
  • जॆट्ठतिस्स प्रथम
  • महासेन ( महसॆन्)
  • सिरि मेघवण्ण( कित्सिरिमॆवन्)
  • जॆट्ठतिस्स द्वितीय
  • बुद्धदास रज
  • उपतिस्स प्रथम
  • महानाम
  • वट्टगाहजन्तु
  • मित्तसेन (मित्सॆन्)

षड् द्रविडयन्

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  • पण्डु
  • पारिन्द
  • खुद्ध पारिन्द
  • तिरितर
  • दाठिय
  • पीठिय

मौर्य राजवंश

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धातुसेन रजु
कस्सप प्रथम (सीगिरि कसुबु) (सीगिरि बलकॊटुव सट रट पालनय कलेय)
मॊग्गल्लान (मुगलन्)
कुमार - धातुसेन (कुमारदास /कुमारदास्)
कित्तिसेन
सिव
उपतिस्स द्वितीय
सीलाकार अम्ब सामनेर
दाठापभूति (दापलुसॆन् )
मॊग्गल्लान २
कित्सिरिमेघ ( कुडा कित्सिरिमॆवन् )
महानाग
अग्गबोधि १ (अक्बो)
अग्गबोधि २(कुडा अक्बो )
संघतिस्स २
मॊग्गल्लान ३
सीलामेघवण्ण
अग्गबोधि सिरिसंघबोधि ३
जॆट्ठतिस्स २
अग्गबोधि ३(यळि रजवीम)
दाठोपतिस्स
कस्सप २
दप्पुलु १
हत्थदाठ
अग्गबोधि ४
दट्ट
हत्थदाठ २

लम्बकर्ण मानवम्म राजवंश

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मानवम्मरज
अग्गबोधि ५
कस्सप ३
महिन्द १
अग्गबोधि ६
अग्गबोधि ७
महिन्द २
उदय १
महिन्द ३
अग्गबोधि ८
दप्पलु २
अग्गबोधि ९
सेन १
वनसेन २
उदय २
कस्सप ४
कस्सप ५
दप्पुलु ३
दप्पुल ४
उदय ३
सेन ३
उदय ४
सेन ४
महिन्द ४
सेन ५
महिन्द रज ५ (मिहिदु) (क्रि.व. ९८२ - ९९३)

पॊळान्नरु युग (क्रि.व. १०२९ - १२३२)

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पॊळान्नरु युग - चोल युग (क्रि.व. ९९३ - १०५४)

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पॊळान्नरु चोल युग - चोल राजधानि

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राजराज चोल ऍतुळु ६ दॆनॆक् १ (क्रि.व. ९९३ - १०१४)
राजेन्द्र चोल १ (क्रि.व. १०१८ - १०५४)


पॊळान्नरु चोल युग - रुहुणु राजधानि नां जक्कया जुजु

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विक्रमबाहु रज (कस्सप ६)
महलनाकित्ति
विक्रमपण्डु
जगतिपाल (जगत्पाल)
पराक्रमपण्डु
लोक (लोकिस्सर - लोकेस्सर)
कस्सप ८
विजयबाहु रज १ (विजय बा) (क्रि.व. १०५५ - १०७०)


पॊळान्नरु युग - विजयबाहु १ युग (क्रि.व. १०७० - १११०)

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विजयबाहु रज १ (विजय बा) (क्रि.व. १०७०दी रटटम रजवीम - १११०)

पॊळान्नरु युग - रजरट, रुहुण, दक्खिणदेश युग (क्रि.व. १११० - ११५३)

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रजरट, रुहुण, दक्खिणदेश युग
राजधानि रज
१०९० ११०० १११० ११२० ११३० ११४० ११५३ ११६० ११७० ११८०
जुजु विक्रमबाहु रज १ गजबाहु रज २
दक्खिणदेश विजयबाहु रज १ मानाभरण रज कित्ति सिरि मेघ रज पळमुपराक्रमबाहु रज
रुहुण श्री वल्लभ रज व कित्ति सिरि मेघ रज श्री वल्लभ रज मानाभरण रज

पॊळान्नरु युग - सिहले राजधानि (क्रि.व.११५३ - १२३२)

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पळमुपराक्रमबाहु रज (महा पराक्रमबाहु रज)
विजयबाहु २

पॊळान्नरु कालिंग युग - सिहले राजधानि (क्रि.व.११८७ - १२१२)

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निश्शंकमल्ल रज
विक्रमबाहु द्वितीय
चोडंग रज
लीलावती रॅजिन
सहस्समल्ल
कल्याणवती रॅजिन
धर्माशोक रज
चोल आक्रमणिक अनिकंग महाधिपाद
लीलावती रॅजिन (दॆराज समय)
लोकेश्वर रज
लीलावती रॅजिन (३राज समय)

पॊळान्नरु पाण्ड-माघ युग - सिहले राजधानि (क्रि.व.१२१२ - १२३६)

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पराक्रपण्डु

दँबदॆनि युग (क्रि.व.१२३२ - १२७२)

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IIIवन विजयबाहु रज (क्रि.व. १२३२ - १२३६)
II वन पराक्रमबाहु रज (क्रि.व.१२३६ - १२७०)
IVवन विजयबाहु रज (क्रि.व.१२६७ - १२७०)
I वन बुवनॆकबाहु रज

यापव्व युग (क्रि.व.१२?? - १२९३)

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ऍतुगल्पुर युग (क्रि.व.१२९३ - १३४१)

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नामयकालयपालन कालय (अवुरुदु)सटहन्
II वन बुवनॆकबाहु रज१२९२-१३०५मुल् पालन कालय यापव्व सिट वे
IV वन पराक्रमबाहु रज (पण्डित पराक्रमबाहु रज)१३०५ - १३२६सिंहल साहित्यय अतिशयिन् दियुणुवू युगकि
III वन बुवनॆकबाहु रजराज्य कालय पिळिबँद तॊरतुरु नॅत.
जयबाहु IIराज्य कालय पिळिबँद तॊरतुरु नॅत.
V वन विजयबाहु रजराज्य कालय पिळिबँद तॊरतुरु नॅत.
IV वन बुवनॆकबाहु रजराज्य कालय पिळिबँद तॊरतुरु नॅत.

गम्पॊल युग (क्रि.व.१३४१ - १४०८)

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गम्पल युग- गम्पॊल राजधानि

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दॅदिगम अगनुवर

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V वन पराक्रमबाहु रज

गम्पॊल अगनुवर

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III वन विक्रमबाहु रज
V वन बुवनॆकबाहु रज


गम्पल युग - रयिगम राजधानि

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किपा नां उपत विपत राजकाज आरम्भ राजकाज अवसान न्हापाम्ह जुजुनापया सम्बन्ध
IIवन वीरबाहु--१३९१/१३९२१३९७*Brother in law of King Buvaneka Bahu V
वीर अलकेश्वर
(aka Vijaya Bahu VI)
--१३९७१४०९
पराक्रमबाहु Epa(ऍपा)--१४०९१४१२*Grandson of Senalankahikara Senevirat
minister of Bhuvanaikabâhu IV.

अराजिक समय (क्रि.व.१४०८ - १४११)

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कोट्टे युग - सिंहले राजधानि (क्रि.व. १४११ - १५२१)

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VI वन पराक्रमबाहु रज (रट ऎक्सेसत् कळे य)
II वन जयबाहु रज
VI वन बुवनॆकबाहु रज(सॆम्पगप् पॆरुमाल् = सपुमल् कुमरु)
VII वन पण्डित पराक्रमबाहु रज
VIII वन वीरपराक्रमबाहु रज
Xवन धर्मपराक्रमबाहु रज
VIवन विजयबाहु रज (१५२१ दी मॊहुगे पुतुन् तिदॆना अतर विजयबा कॊल्लय सिदुविय

कोट्टे-सीतावक-सेंकडगल युग (क्रि.व. १५२१ - १५९१)

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कोट्टे-सीतावक-सॆंकडगल युग - कोट्टे राजधानि (क्रि.व. १५२१ - १५९७)

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वन बुवनॆकबाहु ७
दॊन् जुवन् धर्मपाल रज * (कतोलिक) )(क्रि.व. १५५१ - १५९७ मॅयि २७)
पोर्चुगलया फिलिप
पोर्चुगलया फिलिप २


कोट्टे-सीतावक-सॆंकडगल युग - सीतावक राजधानि (क्रि.व. १५२१ - १५९४)

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मायादुन्ने रज
Iवन राजसिंह रज
पृतुगालये Iवन फ़िलिप् रज हॆवत् स्पाञये IIवन फ़िलिप् रजट यटत् वीम.

कोट्टे-सीतावक-सॆंकडगल युग - यापापटुन राजधानि (क्रि.व. १५२१ - १६१९)

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कोट्टे-सीतावक-सॆंकडगल युग - उडरट राजधानि (क्रि.व. १५२१ - १५९१)

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सेनासम्मत विक्रमबाहु रजु
जयवीर अस्थान रज (सेनासम्मत विक्रमबाहु पुत्)
करलियॅद्दे बंडार रज (जयवीर अस्थान पुत्)
Iवन राजसिंह रज उडरट राजधानि सीतावकट ऍँदागॅनीम
दॊन् फ़िलिप् रज (यमसिंह बंडार कुमरु - करलियॅद्दे बंडार रजगे ञाति पुत्) पृतुगीसि सहाय ऍतुव रजवीम
कॊनप्पु बंडार रज(Don João da Austria) दॊन् फ़िलिप् रज मरणयॆन्/घातनयॆन् पृतुगीसि सहाय नॊमॅति व रजवीम
दोन कॅतरिना रॅजिन (करलियॅद्दे बंडार रजगे दियणिय पृतुगीसि सहाय ऍतुव रजवीम)
कॊनप्पु बंडार युद्ध कर पृतुगीसि पलवाहॅर दोन कॅतरिना रॅजिन विवाह करगॅनीम

सॆंकडगल युग (क्रि.व. १५९१ - १८१५ मार्तु २)

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सॆंकडगल युग - पहतरट पालनय

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सॆंकडगल युग - पहतरट पृतुगीसि पालनय (क्रि.व. १५९७ मॅयि २७- १६३८)

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सॆंकडगल युग- पहतरट लन्देसि पालनय (क्रि.व. १६३८ - १७९६)

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सॆंकडगल युग- पहतरट इंग्रीसि पालनय (क्रि.व. १७९६ - १८१५ मार्तु २)

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पहतरट इंग्रीसि पालनय -पॆरदिग इंदिया वॆळँद समागम (क्रि.व. १७९६ - १८०२)
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पहतरट इंग्रीसि पालनय -ब्रितान्य आण्डुव (क्रि.व. १८०२ - १८१५ मार्तु २)
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सॆंकडगल युग- सिंहले राजधानि (क्रि.व. १५९१ - १८१५ मार्तु २)

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सॆंकडगल युग- सिंहले राजधानि - सेनासम्मत विक्रमबाहु राजवंशय

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Iवन विमलधर्मसुरिय रज (नमिन्, दोन कॅतरिनागे स्वामिया लॆस, कॊनप्पु बंडार नॅवत रजवीम ()
सॆनरत् रज (दोन कॅतरिनागे स्वामिया लॆस)
IIवन राजसिंह रज (दोन कॅतरिनागे पुतॆकि)
IIवन विमलधर्मसूरिय रज (IIवन राजसिंह रज पुत्)
श्री वीर पराक्रम नरेन्द्रसिंह रजु (IIवन विमलधर्मसूरिय रज पुत्)

सॆंकडगल युग- सिंहले राजधानि - नायक्कर् राज वंशय (क्रि.व. १७३९ - १८१५ मार्तु २)

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विजयराजसिंह रज (वीर पराक्रम नरेन्द्रसिंह रजबिसवगे सॊहॊयुरु)
कीर्ति श्री राजसिंह रज
राजाधि राजसिंह रज
श्री विक्रम राजसिंह रज

उपनिवेष युग (क्रि.व. १८१५ मार्च २ - १९८२ अप्रिल २९)

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ब्रिटिश युग (सिलोन् यटत् विजितय) (क्रि.व. १८१५ मार्च २ - १९४८ फेब्रुअरी ४)

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जर्ज तृतीय
जर्ज चतुर्थ
विलियम चतुर्थ
विक्टोरिया
एद्वार्द सप्तम्
जर्ज पञ्चम्
एद्वर्द अष्टम्
जर्ज षष्टम्

लंका राजधानि (डोमीनियन् राज्य युग) (क्रि.व. १९४८ फेब्रुअरी ४ - १९७२ मे २२ )

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किपा नां बूगु मदूगु सिलोन्‌या जुजु जूगु दिं सिलोन्‌य् राज सिधःगु दिं लिखँ
जर्ज ६दिसेम्बर १४, १८९५फेब्रुअरी ६, १९५२फेब्रुअरी ४, १९४८फेब्रुअरी ६, १९५२*जर्ज ५या काय्
एलिजाबेथ द्वितीयअप्रिल २१, १९२६फेब्रुअरी ६, १९५२मे २२, १९७२

१९७२ मे २२ निसें श्रीलङ्काय् राजतन्त्र आधिकारिक रुपं क्वचाल।

लिधंसा

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  1. http://www.palikanon.com/english/palinames/ay/anuraadhapura.htm
  • मुल् कर्तृ नॊदनी. संस्करणय ए.वी. सुरवीर (१९६७). राजावलिय (शास्त्रीय संस्करणय). अध्यापन प्रकाशन दॆपार्तमेन्तुव.