रणधीर प्रकाशन
Appearance
हमारी संस्था द्वारा प्रकाशित भारतीय ज्ञान का यह भंडार – हिन्द महासागर से भी गहन , भारत के भौगोलिक विस्तार से भी अधिक व्यापक, हिमालय के शिखरो से भी ऊंचा एवं ब्रह्म की अवधारणा से भी अधिक सूक्ष्म है। इस पर हमें गर्व है । पुस्तकें ऐसी मित्र हैं जो प्रत्येक स्थान व काल में सहायक होती हैं | इसी कारण लाखों लोग गीता, हनुमान चालीसा व गुरुवाणी सदैव अपने साथ रखते हैं | समय मिलने पर इन पुस्तको का पाठ संबल प्रदान करता है | अनेक लोग छोटी-छोटी ज्ञान की पुस्तकों का वितरण करके लाखों लोगो को तो विद्या प्रदान करते ही हैं साथ ही स्वयं भी मन की शांति अर्जित करते हैं |
भाषा
[सम्पादन]थ्व प्रकाशन पुचलं हिन्दी भाषाया सफूत ध्वायेगु या।
ध्वागु सफूत
[सम्पादन]थ्व पुचलं ध्वागु सफूत थ्व कथं दु-
ज्याकुथि
[सम्पादन]थ्व पुचःया ज्याकुथि भारतय् दु।
स्वयादिसँ
[सम्पादन]